कालिम्पोंग
अमेरिका की रेनी अलेक्जेण्डर अपने के पुरूष दोस्त गोल्सेको पीछे की सिट में बैठाकर कलिम्पोंग की सडको में गुरुवार को अटोरिक्शा चलती दिखी। इन दोनों के  भारतीय मित्र वत्सल धोलाभाइ भी एक दुसरे थे । कालिम्पोंग में अटोरिक्शा के  दर्शन नहोने  वाले जगह में गुरुवार को दो अटोरिक्शा चलते देख मर्निङ वर्क में नीलके लोग आनंदित हो रहे थे |यहाँ के ऊपर निचे के सड़क में  रेनी एवं उनके दोस्त अटोरिक्शा चलाकर रोमाञ्चित अनुभव प्राप्त कर रहे थे। पूरी तरह सजे हुए दोनों  अटोरिक्शामा सवार को पर्यटक जैसे लग रहे थे पर दोनों  अमेरिकाआधारित एक  च्यारेटी संस्था के  कार्यकर्ता थे ।
ग्रामिण क्षेत्र के  विपन्नवर्ग एवं  बालिका के शिक्षा के लिए  च्यारिटी संस्था के  लिए अर्थसंग्रह करने  के  सिलसिला में  रेनी अपने दोस्तों के साथ यहाँ आ पहुची । सिलोङ से राजस्थान के जयसलमेर तक  35 सो  किलोमिटर दूरी के  यात्रा में निकले उक्त दल  बिभिन जगह होकर कालिम्पोंग कल पहुचे । रूम टू रिडनामक अमेरिकी च्यारिटी संस्था से जुड़े सभी लोग महिला शिक्षा के लिए जनजागरुकता फेलाने एवं  अर्थदान संग्रह करने के लिए इतनी दूर की यात्रा में निकले हे सिलीगुड़ी से पास के  हिलस्टेशन कालिम्पोग होने की बात पता चलने के बाद  सभी यहाँ आ पहुचे । इस पहाडी क्षेत्र में  अटोरिक्शा की  यात्रा ज्यादा रोमाञ्चक  लगा हात में काला नीला रंग के ग्लोबसहाफपाइण्ट एवं हरा   टिसर्ट लगाकर मस्ती से अटोरिक्शा चलाने वाली रेनी ने कहा , ऊपर चड़ने के क्रम में नानी तक याद आने की बात कहती हुई  रेनी ने बताया की जैसे तैसे हम शहर में आ पहुचे उक्त अनुभव हम भूलना चाहे तो भी नहीं भुला सकते  गुजरात वत्सल धोलाभाइ ने कहा जो पहले बार यहाँ आये थे |सभी को यहाँ के  प्राकृतिक सुन्दरता मात्र नहीं पर यहाँ के लोगो से  स्वभाव एवं व्यवहार से बहुत खुस दिके । इन लोग रह रहे  होटल में मिले सत्कार एवं  सुविधा से सभी काफी प्रभावित दिखे