कालिम्पोंग
जोइन्ट एक्सन कमिटी से अपने रिश्ते तोड़ने के बाद अखिल भारतीय
गोर्खालीग ने आन्दोलनकारी नेतृत्व वर्ग को सुझाउँ देते हुए जनता को भी सचेत बनाने
के दिशा में वयान जारी किया हे ।
दल के केन्द्रिय महासचिव प्रताप खाती ने उक्त वयान
देते हुए जीटीए आज तक भी सञ्चालन में रहने तथा
उसके कारण आन्दोलन को आगे नहीं बड़ाने सकने की बात कहा हे ।
खाती ने कहा की कानुनी रुप में हाल जीटीए सञ्चालन अवस्था में हे । इसको जब तक रद्द नहीं किया जा सकता तब तक गोर्खाल्याण्ड के माग में चल रहे आन्दोलनले लक्ष्य प्राप्त नहीं कर सकता । आन्दोलनकारी नेतृत्व में इमान्दारिता नरहने का आरोप उनहोने ने लगाया हे । खाती ने आगे कहा की ‘भिड दिखाकर मात्र नहीं होता , नेतृत्व वर्ग में इच्छाशक्ति की ज़रूरत हे । ठोस् निर्णय लेने में उन लोगो में कोई वाध्यता होगा पर वाध्यता होते हुए भी आन्दोलन को सशक्त बनाने के दिशा में कड़ा निर्णय लेने का सुझाव खाती ने दिया हे । पहाड के वर्तमान स्थिति को इधर का न उधर का करार देते हुए खाती ने कहा की गोर्खाल्याण्ड के लिए आम जनता सैलाब की तरह उठ्ने के बाद भी नेतृत्व वर्ग मुद्दाप्रति गम्भिर ही नहीं हे । नेतृत्व केवल जनता थकाने मुड में रहने का आरोप खाती ने लगाया हे । एक तरफ बन्दअवधी एनएचपीसी, चायबगान, सिन्कोना बगान आदि को खुला रकने तो दूसरी तरफ साधारण जनता को दुःख देने प्रकार के आन्दोलन करने को उचित नरहने की बात खाती ने कहा । यदि बंगाल अन्दर के व्यवस्था जीटीए ग्रहण नहीं होता तो तेलङ्गाना के साथ गोर्खाल्याण्ड राज्य भी गठन होने की पूरा संभावना होने की बात खाती ने कहा ।
खाती ने कहा की कानुनी रुप में हाल जीटीए सञ्चालन अवस्था में हे । इसको जब तक रद्द नहीं किया जा सकता तब तक गोर्खाल्याण्ड के माग में चल रहे आन्दोलनले लक्ष्य प्राप्त नहीं कर सकता । आन्दोलनकारी नेतृत्व में इमान्दारिता नरहने का आरोप उनहोने ने लगाया हे । खाती ने आगे कहा की ‘भिड दिखाकर मात्र नहीं होता , नेतृत्व वर्ग में इच्छाशक्ति की ज़रूरत हे । ठोस् निर्णय लेने में उन लोगो में कोई वाध्यता होगा पर वाध्यता होते हुए भी आन्दोलन को सशक्त बनाने के दिशा में कड़ा निर्णय लेने का सुझाव खाती ने दिया हे । पहाड के वर्तमान स्थिति को इधर का न उधर का करार देते हुए खाती ने कहा की गोर्खाल्याण्ड के लिए आम जनता सैलाब की तरह उठ्ने के बाद भी नेतृत्व वर्ग मुद्दाप्रति गम्भिर ही नहीं हे । नेतृत्व केवल जनता थकाने मुड में रहने का आरोप खाती ने लगाया हे । एक तरफ बन्दअवधी एनएचपीसी, चायबगान, सिन्कोना बगान आदि को खुला रकने तो दूसरी तरफ साधारण जनता को दुःख देने प्रकार के आन्दोलन करने को उचित नरहने की बात खाती ने कहा । यदि बंगाल अन्दर के व्यवस्था जीटीए ग्रहण नहीं होता तो तेलङ्गाना के साथ गोर्खाल्याण्ड राज्य भी गठन होने की पूरा संभावना होने की बात खाती ने कहा ।
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