कालिम्पोंग
कालिम्पोंग
कालिम्पोंग पोस्ट ऑफिस स्तिथ रेलवे आउट एजेंसी से अब धीरे धीरे विभिन्न रेल के
टिकट आरक्षण कोटा बन्द होने का क्रम जारी हे । राजधानी दार्जीलिंग मेल कंचन कन्या
आदि के बाद हाल ही गुवाहटी इग्मोर एक्प्रेस के टिकट बुकिङ बन्द हो गया हे । सभी ट्रेन
मिलाकर लगभग एक दर्जन ट्रेन का कोटा यहाँ से बंद को गया हे जिसमे ९ ट्रेन पहाड़
वासी सबसे ज्यादा यात्रा करते थे। एक हिसाब से कालिम्पोंग में अब देखा जाये तो
रेलवे के कोटा प्रणाली इतिहास बन्ने के कगार में हे । जून महीने के अब तक कुल एक
दर्जन रेल के बुकिंग बंद हो चूका हे तो बाकि बचे अन्य ट्रेन में भी कोटा कम किया
जा चूका हे,बंद के दोरान ही गुवाहटी इग्मोर एक्प्रेस के टिकट बुकिङ बन्द
हुआ । यहाँ से बंद मुख्या ट्रेनों में १२३४४ दार्जीलिङ मेल, १५३१५०
कञ्चनकन्या एक्सप्रेस,१२५१० गुवाहटी बेंगलोर एक्सप्रेस, २४२३
र २४३५ राजधानी एक्सप्रेस,१५९३० डिब्रुगड चेन्नइ इग्मोर
एक्सप्रेस,१२५१६ गुहावटी त्रिवेन्द्रम एक्सप्रेस,१५६३२
वाडमेर विकानेर एक्सप्रेस सामिल हे । इसके
अलावा २५०८ गुवाहटी इरनाकुलम एक्सप्रेस के भी
३ एसी के टिकट बन्द भ्किय जा चूका
हे तो हाल इस इस ट्रेन में केवल स्लिपर के मात्र टिकट बुकिङ हो रहा हे ।
कालिम्पोंग डाक घर में एक रेलवे आउट एजेंसी के अलावा शहर से लगभग ५ किलोमीटर दूर
सेना छावनी में एक आरक्षण केन्द्र हे
जिसमे दुरी ज्यादा होने एवं गाड़ी भाडा करीब २०० रूपये पड़ने के चलते लोग नहीं जाते।
राजधानी एक्सप्रेस के बुकिङ मई महीनामा तो कञ्चनकन्या जुलाई से बन्द हुआ उसके बाद जैसे सिलसिला चल पड़ा । हाल
तक बंद सभी ट्रेन एकदम महत्वपूर्ण था । बंद के कारण लोगो को व्यापक समस्या का
सामना करना पड़ रहा हे । एक समय लोगो की कतार वाले आउट एजेंसी के काउंटर में अब
एक्का दुक्का लोग ही नजर आते हे । हाल में यहाँ से उत्तरबंग एक्सप्रेस, ब्रह्मपुत्र
मेल, अवध आसाम,नर्थ इष्ट एक्सप्रेस, सिक्किम
महानन्दा एक्सप्रेस, टिस्टा तोर्सा, गुवाहटी
सिकन्दरावाद एक्सप्रेस, क्यापिटल एक्सप्रेस, डानापुर
क्यापिटल एक्सप्रेस जैसे ट्रेनों की टिकट बुकिङ हो रहा हे पर इन ट्रनो में भी टिकट उपलब्ध हे ये नहीं इसकी सूचना पूछ
कर मात्र बुकिङ किया जा रहा हे । दो तीन
महीने के अंतराल में कालिम्पोंग से करीब एक दर्जन महत्पूर्ण ट्रेनों के ५५ कोटा
बंद हो चूका हे । कुछ महीने पहले यहाँ के विभिन्न राजनैतिक दल, संघ
संस्था,व्यक्ति विशेष आदि ने घोर विरोध किया था पर बिभाग के कान में जू तक
नहीं रेंगा ।
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