कालिम्पोंग
भारत भर के संबंधित गोरखाओं के समरुचि लोगों के समूह के साथ दिल्ली में श्रृंखलाबद बैठकों के बाद आज औपचारिक रूप से एक वास्तविक एवं सचेत  लोगों को उन्मुख आंदोलन बनाने के उद्देश्य के साथ जन आवाज़ के गठन की घोषणा किया गया .अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र, वायएमसीए,  नई दिल्ली में संपन हुए बैठक में  जीवन के सभी क्षेत्रों और भारत के विभिन्न भागों का प्रतिनिधित्व करने वाले लोगो ने भारतीय गोरखा समुदाय द्वारा  सामना कर रहे कई मुद्दों पर चर्चा परिचर्चा किया गया .बैठकों के दौरान,लोगो ने  कहा की समुदाय के द्वारा भोगे जा रहे सबसे बड़ी एवं सबसे गंभीर चुनौतियों  एक विश्वसनीय नेतृत्व की कमी होना हे। जनता के वास्तविक समर्थन के बावजूद, नेताओं को लोगों की आकांक्षाओं की पूर्ति की दिशा में कार्य करने में सक्षम नहीं हुए हे बजाय अपने खुद के निजी एजेंडा के साथ नेता व्यस्त हो जाते ।
ऐसे परिदृश्य को देखते हुए, सभा में ये बात निकला की ये आन्दोलन एक आधारित पार्टी या व्यक्तित्व आधारित आंदोलन नहीं बल्कि जन आंदोलन हे । समूह ने प्रतिबद्ध, ईमानदार लेकिन मोटे तौर पर चुप हुए लोगों के मौनता को व्यवस्थित करने की जरूरत पर जोर दिया .समूह ने यह साफ किया की वे शिक्षित, सक्षम,  प्रतिबद्ध एवं साफ़ छबी एक नेतृत्व के निर्माण की दिशा में काम करेगा .जन आवाज़ अब भारत भर में समरुचि समूहों और लोगों के साथ काम कर कर इस आन्दोलन को एक अखिल भारतीय जनवादी आंदोलन बनाने की योजना पर काम करने साथ ही आने वाले दिनों में अपने कार्यक्रमों और संगठनात्मक संरचना पर काम करेगा । बैठक के बाद संकल्प लामा को जन आवाज़ के संयोजक की जिम्मेदारी दी गई है. जन आवाज़ के अन्य सदस्यों में जोएल राय, मुनीश तमांग, पप्पू प्रधान, गुमान लिम्बु, सुप्रीत प्रधान डीके प्रधान, सोनम भूटिया, जरिंग लेप्चा, बरुन अधिकारी आदि शामिल हैं.