कालिम्पोंग

पहाडी क्षेत्र में चार महकमा में स्तिथ स्थाही पेयजल स्रोत, इसके संरक्षण पर सूचना के अधिकार कानून २००५ अन्तर्गत मागे गये उत्तर अधुरा एवं असन्तोषजनक होने के चलते गणतान्त्रिक क्रान्तिकारी युवा मोर्चा ने राज्य सूचना आयोग कलकत्ता पश्चिम बंगाल समक्ष पुनः जानकारी माग्ते हुए एक पत्र भेजा हे । ग्रक्रायुमो द्वारा १२ दिसम्बर २०१२ में आरटीआइ के जरिये जिल्लापाल को कालिम्पोंग, दार्जीलिङ, कर्सियांग एवं मिरिक नगरपालिका के अंतर्गत स्थायी पानी के स्रोत एवं इसके रखरखाउ पर कैसा पहल हो रहा ये तीन प्रश्न के जानकारी माँगा था को । तब के जिल्लापाल सौमित्र मोहन को मांगे गये जानकारी में प्रथम में २००४ साल में कलिम्पोंग नगरपालिका द्वारा स्थायी पानी के स्रोत को संरक्षण करने हेतु पारित किये गये प्रस्ताव के अवस्थान क्या हे दुसरे में दार्जीलिङ, खरसाङ, मिरिक एवं कालिम्पोंग महकमा में स्तिथ ऐसे पेयजल स्रोत के संरक्षण के लिए कैसे पहल किया गया ? एवं दार्जीलिङ, कर्सियांग कालिम्पोंग एवं मिरिक नगरपालिका ने पानी के समस्या समाधान करने हेतु क्या क्या कदम उठाया हे ? इन सभी के जानकारी जिल्लापाल से मांगी गयी थी । उक्त पत्र प्राप्त करने के बाद जिल्लापाल ने २१ दिसम्बर २०१२ ने सभी नगरपालिका को पत्र भेजकर जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश जारी किया था । परन्तु करीब १० महीने होने के बाबजूद आज तक सिर्फ पार्टी ने कालिम्पोंग नगरपालिका से मात्र  उत्तर मिलने की जानकारी देते हुए गक्रायुमो कालिम्पोंग शहरी क्षेत्र समिति के सहकोषाध्यक्ष रविन्द्र कुमार ढुंगाना ने दिया हे तो वही दार्जीलिङ, कर्सियांग, मिरिक नगरपालिका से जानकारी प्राप्त नहीं होने के कारण फिर एक दफे राज्य सूचना आयोग समक्ष जाने की बात कहा ।ढुंगाना ने कहा की उक्त कदम जनहित के लिए उठाए गये मुद्दा उठाए था क्युकी  पहाड में पेयजल के आपूर्ति मात्र इन स्रोत  से नहीं होता । क्षेत्र के बिभिन जगह में प्राकृतिक छोटे छोटे पानी के  स्रोत पर भी जनता को निर्भर रहना पड़ता हे । अगर इन छोटे प्रक्रत्तिक पानी के  स्रोत का यदि सही रखरखाउ होता हे तो समस्या कम हो सकता हे।  वही बदलते जलवायु के चलते दिनोंदिन पानी के स्रोत पर आफत आ रहा हे । उसपर जनसंख्या के बढ़ोतरी के चलते पेयजल की हाहाकार अलग। पानी के कमी से कृषि लगायत पर्यटन क्षेत्र पर भी प्रतिकूल असर पद रहा हे । ऐसे अवस्था में क्षेत्र में रहने वालो बारहों मास के पेयजलस्रोत का बड़ा महत्व हे । इस के चलते ही ऐसे स्रोत के संरक्षण के लिए नगरपालिका के तरफ से क्या पहल किया जा रहा हे इसकी जानकारी मैंने माँगा हे। जिल्लापाल के निर्देश अनुरूप ही अन्य नगरपालिका द्वारा जानकारी उपलब्ध करने की माग आरटीआइ के जरिये भेजे गये पत्र में उल्लेख किया गया हे । सिञ्चेल लेक से दार्जीलिङ में पेयजल पानी बितरण तो बजार में रहे लालढिकी भी कुछ आपूर्ति में लोगो की आवश्यकता पूर्ति करता हे । कर्सियांग बाज़ार समीप ही रहे धोबीखोला एक मात्र मुख्य स्रोत हे । दोनों  क्षेत्र के लिए बालासन जल परियोजना शुरू होने पर सभी की नज़र टिकी हुई हे । मिरिक में जल आपूर्ति के लिए शुरू किये गये राई धाप पेयजल योजना हाल तक अधुरा हे। कालिम्पोंग में पानी के आपूर्ति करने वाले नेउरा,थुकचुक जैसे स्रोत से पानी लाने का काम होता हे।कालिम्पोङ्ग छोड़ कर पहाड़ के अन्य तीन जगह में नगरपालिका पेयजल का बितरण जनता को करता हे । कालिम्पोंग में पिएचइ पेयजल बितरण करते हे तो वही कालिम्पोंग बाज़ार एवं आसपास  क्षेत्र में बागधारा, भोटे धारा, साधु धारा,पिपल धारा जैसे प्राकृतिक पेयजल जनता के लिए पानी आपूर्ति करता हे। नगरपालिका क्षेत्र में रहे ऐसे पानी के स्रोत के संरक्षण एवं सही रखरखाउ के जिम्मेवारी नगरपालिका के ऊपर रहने के चलते इसपर क्या  पहल हो रहा हे इसपर आरटीआइ जरिये मांगी गये हे ।