कालिम्पोंग

एक तरफ जहा राजनैतिक खेमा जीटीए को गोर्खाल्यान्ड के लिए बाधा का नाम दे रहे हे तो वही दुसरे तरफ मोर्चा पुनः जीटीए में वापस जाने के चर्चा के बीच आज यूनाइटेड गोर्खा रिभुलेसनरी फ्रन्ट(युजीआरएफ) ने एक संवाददाता सम्मेलन में वर्तमान राजनैतिक परिस्थिति में दलीय अडान सार्वजनिक किया हे । जीटीए के सम्बन्ध में  दल के केन्द्रीय सदस्य रुद्र आचार्य ने आज कहा की कोई भी चीज अपने आप में बाधा नहीं होता। पर उसको परिचालन करने वाले  तत्व पर निर्भर होता हे । 1 साल तक जीटीए चलाकर देखा गया। लोग कुछ भी कहे पर गोर्खा नाम वाले जीटीएबंगाल के एक संस्था हे। जीटीए सञ्चालन में बंगाल के ही केन्द्रीय भुमिका रहा हे । इस कारण जीटीए  प्याकेजलाने वाले बंगाल ही हे । इसके चलते बंगाल से चिपकने के कार्यनीति हमारे रणनीति के साथ दुश्मनीपूर्ण हे । आचार्य ने आगे कहा की एक तरफ राज्य एकाधिकारवादी दमन करने के अवस्था में एवं दुसरे तरफ हमारे आन्दोलन के अवस्था को चिरफार करने का समय आ चूका हे। जीटीए को षड्यन्त्र के पूंजी करार देते हुए आचार्य ने अब आन्दोलनकारी नेतृत्व को गलत राजनैतिक लाइनत्यागने का सुझाव दिया हे । उन्होंने आगे कहा  नेतृत्व के  इमान्दारिता  नापने का कोई यन्त्र नहीं होता । इस कारण इसके परिचालन अगर किया तो व्यक्तिगत् स्वार्थ पूर्ति के लिया मात्र प्रयोग न हो ये सुझाउ दिया हे । वही  युजीआरएफ प्रमुख अजय दाहाल ने कहा की जीटीए अगर व्यक्ति स्वार्थ में मात्र केन्द्रित रहा तो युजिआरएफ सभी पक्षों से इसका डटकर विरोध करेगा । राजनीति में जनता को मतदान एवं जुलुस में मात्र सिमित रखने का आरोप लगाते हुए रुद्ग आचार्य ने कहा की,सम्पूर्ण राजनैतिक क्षेत्र में जनता के सहभागिता होना चाहिए । हमारे समज में जो आन्दोलन हे वो जनता को सचेत बनाना हे। मोर्चा प्रमुख ने  गोजएक के पद त्याग ने की चर्चा होने के  वयान को केन्द्र करते हुए आचार्य ने गोजएक के अस्तित्व ऊपर ही प्रश्‍न उठाया हे। इस कमिटी को कौन परिचालिन कर रहा हे वो महत्वपूर्ण हे । अगर मोर्चा वापस जीटीए में जाने के क्रम में गोजएक के कोई अस्तित्व नहीं रहने के  दिशा में आचार्य ने बयान दिया हे । मोर्चा अध्यक्ष के हिंसात्मक आन्दोलन के वयान को  केन्द्र करते हुए आचार्य ने आगे कहा की , जाति मुक्ति के सवाल में आन्दोलन शान्तिपूर्ण हो या गैरशान्तिपूर्ण वो  महत्वपूर्ण नहीं हे पर वो आन्दोलन के साथ ही आन्दोलन के परिस्थिति के  आवश्यकताअनुसार अपने आप निर्माण करने की बात हे। इसको महत्व नहीं दे । जाति मुक्ति के सघर्ष में युजिआरएफ सोकर नहीं रहने की बात आचार्य ने साफ़ किया हे ।