कालिम्पोंग

प्रस्तावित त्रिपक्षीय वार्ता में फलप्रद परिणाम यदि नहीं निकल सका तो  इससे आन्दोलन को आगे बड़ाने में सहयोग पहुचने की बात मोर्चा प्रवक्ता डा हर्कबहादुर छेत्री ने कहा । उन्होंने आने वाले लोकसभा चुनाउ को केन्द्र कर  केन्द्र सरकार के  नियत देखकर अपने आप को ऐसे महसूस होने की बात कहा हे। तथापि, वार्ता अपेक्षा अनुरुप फलदायक नहीं हुआ तो भी निराश होने का कोई कारण नही रहने के बात भी  डा छेत्री ने कहा। केन्द्र सरकार हाल कमजोर हे ,आगे २०१४ के लोकसभा चुनाउ हे । ममता व्यानर्जी प्रति केंद्र का ध्यान केन्द्रित हे । नए सरकार बनाने में इनके योगदान का महत्व हे । इसको ध्यान में रकते हुए  केन्द्र क्या एवं कितने बात करता हे वो बही कहा नहीं जा सकता । इस कारण बैठक में कोई निष्कर्ष नहीं निकले तो भी निराश होने का कोई कारण नहीं हे। डा छेत्री ने कहा मुझे क्या लगता हे की २०१४ के सरकार गठन आगे ये सरकार कोई भी उल्लेखनीय निर्णय नहीं ले सकती ।इस के चलते हम आन्दोलन को निरंतरता देना हे उचित हे । मोर्चा प्रवक्ता ने कहा की बैठक में पहाड के ताजा परिस्थिति पर बात उठा सकते हे | साथ ही  वार्ता में वहस के विषय गोर्खाल्याण्ड मात्र होने का दावा भी किया । जीटीए को सरकार के नियञ्त्रण में लेने से पहले ही मोर्चा इसमें भागीदार होकर एक हतियार के रुप में प्रयोग करने के रणकौशल अपनाकर बिनय तामाङ को जीटीए प्रमुख चयन करने की बात डा छेत्री ने कहा । जीटीए प्रमुख के चयन करते वक्त हम लोगो ने जेल में बंद व्यक्ति को प्रमुख बनाया । हम ये कह सकते हे की जीटीए भी एक प्रकार से जेल में बंद हे । इसको अचल रख कर आन्दोलन आगे बढाया जा सकता हे । डा छेत्र ने बोडो जाती ने बोडो टेरिटोरियल काउन्सिल त्याग नहीं करते हुए राज्य प्राप्ति के लिए आन्दोलन जारी रखने का उदाहरण देते हुए कहा जीटीए छोड्ना मतलब एक हतियार फेककर खाली हात लड्ना जैसा हे । 23-के बैठक के मूल एजेण्डा गोर्खाल्याण्ड पर केन्द्रीत होने की बात कहते हुए इससे पहले केन्द्रीय गृहमंत्री सुशिल कुमार सिन्दे एवं गृहसचिव के साथ भेट में पहले ही जीटीए के असफलता एवं समस्या पर विस्तृत रूप में चर्चा हो चूका हे । उन्होंने राज्य के नियञ्त्रण में रहकर कोई भी व्यवस्था सञ्चालन करना मोर्चा को मञ्जुर नहीं होने की बात केन्द्र सरकार के पास पहुचने का काम पहले ही हो चूका हे । हमने पहले ही बंगाल से पूर्ण रुप से बाहर के व्यावस्था देने की मांग क्या हे । केन्द्र के सोच में ये स्पष्ट हो कि गोर्खा दार्जीलिङ के लिए मात्र आन्दोलन नहीं कर रहे हे पर परिचय के समस्या पुरे देश के गोर्खा को हे ।एक प्रश्न के उत्तर में वार्ता में गोजोएक के प्रतिनिधि टोली ही भाग लेने की जानकारी उन्होंने दिया । गोजोएक अध्यक्ष के पद से बिमल गुरूङ द्वारा इस्तीफा दिया पर वो अभी स्वीकार नहीं होने के अवस्था में  यही साझा मञ्च मार्फत मुद्दा के पहल करने की सोच मोर्चा का हे । ये वक्त गोजोएक एवं मोर्चा को अलग करने का नही । बैठक में जाने वाले टोली गोजोएक का ही होगा एवं कार्यक्रम भी इसके ही ब्यानर में करने की जानकारी डा छेत्री ने दिया।